top of page
Search

काशी विद्यापीठ में आज़ाद का भव्य सम्मान समारोह

  • kaminidubeindia
  • Jan 8, 2020
  • 4 min read

४ अगस्त ,२०१९ को ऐतिहासिक काशी विद्यापीठ के ऐतिहासिक सभागार में मुख्यधारा की पहली संस्कृत फ़िल्म ‘अहम ब्रह्मास्मि’ का ट्रेलर तथा गीत प्रदर्शन के साथ ही राष्ट्रवादी फ़िल्म राष्ट्रपुत्र का फ़्रान्स में आयोजित विश्वप्रसिद्ध कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में वैश्विक प्रदर्शन के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर काशी विद्यापीठ,वाराणसी की ओर से काशी विद्यापीठ के कुलपति टी एन सिंह ने आज़ाद को उनकी फ़िल्म कला,संस्कृत और भारतीय संस्कृति में महती योगदान के लिए प्रशस्ति-पत्र के साथ सम्मानित किया।

ree

भारत की ऐतिहासिक फिल्म कंपनी बॉम्बे टॉकीज़ और महिला निर्मात्री कामिनी दुबे के संयुक्त निर्माण और सैन्य विद्यालय के यशस्वी छात्र एवं राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद के द्वारा लिखित-निर्देशित-अभिनीत फ़िल्म अहम ब्रह्मास्मि शीघ्र प्रदर्शन हेतु तैय्यार है। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य अतिथि वृंद ने फ़िल्म का ट्रेलर देखकर आज़ाद के नेतृत्व में भारत की संस्कृति के संवाहक देव भाषा संस्कृत के संवर्धन एवं संरक्षण के साथ ही पूरे विश्व में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के भगीरथ प्रयास की मुक्त कंठ से भूरि-भूरि प्रशंसा की। आज़ाद के इस विरल रचनात्मक कार्य और देश - विदेश में देव भाषा संस्कृत के विकास में आज़ाद के योगदान की गहन चर्चा की। आमंत्रित गणमान्य अतिथियों ने एक स्वर में कहा कि विश्व पटल पर संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए मुख्यधारा की पहली संस्कृत फ़िल्म की रचना कर फ़िल्मकार आज़ाद ने माँ भारती के योग्य सपूत होने का प्रमाण दिया है।

ree

आज़ाद की बहुप्रतिक्षित फ़िल्म अहं ब्रह्मास्मि के संदर्भ में आज़ाद ने कहा कि भारत को जानने और समझने के लिए संस्कृत की शरण में आना होगा। संस्कृत है तो संस्कृति है। आज़ाद ने गुरु गंभीर स्वर में कहा कि हमें अपनी सनातन संस्कृति पर गर्व है। आज़ाद ने कहा कि देश में जन्म लेने वालों का एक ही लक्ष्य होना चाहिए “राष्ट्र प्रथमम् व्यक्ति द्वितीयं”।

ree

इस भव्य समारोह की अध्यक्षता काशी विद्यापीठ, वाराणसी के माननीय कुलपति प्रोफ़ेसर टी एन सिंह ने की। मुख्य अतिथि श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर गंगाधर पांडा ने भी अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए।

ree

इस अवसर पर अपने उद्गार और विचार व्यक्त करते हुए काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफ़ेसर टी एन सिंह ने कहा कि फ़िल्मकार आज़ाद स्वयं में ही एक संस्था हैं। मैं इस पूरी टीम को, बॉम्बे टॉकीज़ को बहुत बहुत बधाई देता हूँ, बहुत बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ और निश्चित तौर पर हम जो विश्व गुरु का सपना देख रहे है वह हम केवल संस्कृत की समृद्धि से पुनः साकार कर सकते है। कुलपति टी एन सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आपके अन्दर, हम सबके अन्दर जो ब्रह्म है उसे पुनः जागृत करें और फ़िल्म अहं ब्रह्मास्मि का हम ज़रूर अवलोकन करेंगे और केवल अवलोकन ही नही करेंगे बल्कि सारे लोगों को बताने की कोशिश भी करेंगे कि किन मुद्दों के आधार पर इस तरह की जो अंतरपीड़ा थी फ़िल्मकार आज़ाद जी के अन्दर उसको पूरे समाज के अन्दर बताएंगे। उन्होंने आगे कहा कि अभिजित जी को सुनने के बाद मुझे लग रहा था कि कोई काव्यशास्त्री काव्य का पाठ कर रहा हो। जिस तरह से उन्होंने मधुरता से, सरलता से और सहजता से अपनी बातों को रखा, ऐसा नहीं लग रहा था कि कोई सिर्फ बॉम्बे टॉकीज़ से जुड़ा हुआ एक व्यक्ति है बल्कि मुझे लग रहा था कि कोई हिंदी का मूर्धन्य, संस्कृत का बहुत ही सुसंस्कृति प्राप्त अध्यापक बोल रहा हो । धाराप्रवाह उनका संभाषण चाहे वह संस्कृत हो, हिंदी हो, वह काव्य में हो या गद्द्य में हो। इससे हमें यह लगता है की यदि ऐसे पृष्ठभूमि के लोग जुड़े हुए हों तो पिक्चरें कैसी होंगीं यह सहज में ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है ।

ree
MEGASTAR AAZAAD

इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर गंगाधर पांडा ने कहा कि अहं ब्रह्मास्मि हमारे सनातन शास्त्रों का सार है । हमारे मंत्र द्रष्टा ऋषि पूर्वजों का दिव्य अनुभव है। फ़िल्मकार आज़ाद और उनकी दिव्य कृति “अहं ब्रह्मास्मि” सनातन भारत के गौरव की अमूल्य निधि है। गणमान्य अतिथियों ने बॉम्बे टॉकीज़ का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि बॉम्बे टॉकीज़ की परम्परा हमेशा से ही सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई विचारोत्तेजक फ़िल्मों के सृजन का रहा है। उसी परम्परा का अनुपालन करते हुए सनातनी राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद ने भारत की सभ्यता और संस्कृति से संस्कृत के माध्यम से विश्व समुदाय को जोड़ने का काम किया है।


इस अवसर पर बॉम्बे टॉकीज़ के लेखन विभाग के अध्यक्ष कवि - लेखक व आज़ाद के निकटतम सहयोगी अभिजित घटवारी ने आज़ाद की सृजन प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि फ़िल्मकार आज़ाद सनातन भारत के सृजन पुरुष हैं।

ree

ज्ञातव्य है कि छः दशकों के अंतराल के बाद भारतीय सिनेमा के आधार स्तम्भ राजनारायण दूबे द्वारा १९३४ में स्थापित बॉम्बे टॉकीज़ का आज़ाद के नेतृत्व में राष्ट्रपुत्र के साथ भव्य पुनरागमन हुआ है। अहं ब्रह्मास्मि उसकी सफलता और कलात्मक विस्फोट की अगली कड़ी है।

ree

आज़ाद ने अहं ब्रह्मास्मि के सृजन के दौरान प्राप्त अपने अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि पहले मैं अपने टीम के साथ अकेला था लेकिन अहं ब्रह्मास्मि के प्रचार प्रसार के कार्यक्रम के साथ - साथ दृश्य बदल गए। आज लाखों लोग बच्चे – बूढ़े, नौजवान, स्त्री –पुरुष मेरे इस अभिनव अभियान में कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं। आज़ाद ने पुरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि मैं भारत का आने वाला कल देख रहा हूँ, कि जब हजारों, लाखों भरतबंशी हाथ में भगवा ध्वज लिए, वन्दे मातरम् का नारा लगाते संस्कृत में संवाद कर रहे होंगे। संस्कृत ही जन – जन की, परिवार की, व्यापार की जन भाषा होगी।

ree
ree

अहं ब्रह्मास्मि महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन और दर्शन पर आधारित वर्तमान की फ़िल्म है। फ़िल्मकार आज़ाद फ़िल्म के ज़रिए राष्ट्रवाद का संदेश देना चाहते हैं। आज़ाद ने काशी विद्यापीठ, वाराणसी के खचाखच भरे सभागार में उपस्थित गुणीजनों, विद्वानो और शिक्षविदों के समारोह में अपनी धारणा को पुष्ट करते हुए घोषणा की कि एक सनातन प्रश्न है - मैं कौन हूँ? और उसका एक ही सनातन उत्तर है- अहं ब्रह्मास्मि

 
 
 

Comments


CONTACT ME

Kamini Dube

PRODUCER

Phone:

93224-11111

 

Email:

kaminidubeindia@gmail.com 

  • Black Facebook Icon
  • Black Twitter Icon
  • Black Instagram Icon

Thanks for submitting!

© 2023 By Bombay Talkies Gharana

bottom of page