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मेगास्टार आज़ाद के नेतृत्व में भारतीय सिनमा के आधार स्तंभ राजनारायण दुबे का १०९वाँ जन्म महोत्सव


PORTRAIT OF CINEMATIC GIANT AND PILLAR OF INDIAN CINEMA RAJNARAYAN DUBE

१० अक्टूबर २०१९ को भारतीय सिनेमा के आधार स्तम्भ और बॉम्बे टॉकीज़ के आदि पुरुष राजनारायण दुबे की १०९वीं जयंती पुरे धूमधाम के साथ मनाई गयी | राजनारायण दुबे ने ही सन १९३४ में ऐतिहासिक बॉम्बे टॉकीज़ की स्थापना की थी | बॉम्बे टॉकीज़ भारतीय सिनेमा की बुनियादी पहचान के रूप में आज भी जाना जाता है और जो भी आज कला के आकाश में ध्रुव तारा की तरह चमक रहे है या विश्व जिन्हें महान कलाकार के रूप में स्मरण करता है वे सब के सब कही न कही, किसी न किसी रूप में बॉम्बे टॉकीज़ से सम्बंधित थे या है |


इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य अथितियों ने राजनारायण दुबे एवं बॉम्बे टॉकीज़ के अतीत का स्मरण किया और राजनारायण दुबे के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं सिनेमा के लिए उनके योगदान की चर्चा की | इस अवसर पर सनातनी फिल्मकार मेगास्टार आज़ाद एवं सनातनी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे जिन्होंने बॉम्बे टॉकीज़ के साथ मिलकर राष्ट्रपुत्र एवं संस्कृत की पहली मुख्यधारा की फिल्म अहं ब्रह्मास्मि का निर्माण किया और देश विदेश में सफलता और सम्मान प्राप्त किये भी उपस्थित थे |


KAMINI DUBE AT THE BOMBAY TALKIES STUDIOS

इस अवसर पर राजनारायण दुबे के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए अत्यंत भावुक स्वर में मेगास्टार आज़ाद ने राजनारायण दुबे को स्मरण करते हुए कहा कि राजनारायण दुबे के पुरुषार्थ की वजह से ही हम यहाँ तक पहुँच पाए है | राजनारायण दुबे ने बॉम्बे टॉकीज़ की स्थापना कर फिल्म उद्योग को एक उद्योग और एक परिवार के रूप में स्थापित किया | उनके सनातनी व्यक्तित्व ने फिल्म उद्योग को एक संस्कारित, सभ्य, शिक्षित वातावरण दिया |


आज़ाद ने कहा कि बॉम्बे टॉकीज़ ने जैसे दिलीप कुमार, मधुबाला लता मंगेशकर, राज कपूर, किशोर कुमार, महमूद जैसे कालजयी कलाकारों को मंच दिया उसी तरह से बॉम्बे टॉकीज़ ने मुझे भी मंच देकर मेरी कला-साधना, प्रतिभा को सिद्ध करने का अवसर दिया इसलिए मैं बॉम्बे टॉकीज़ और राजनारायण दुबे के प्रति कृतज्ञ हूँ | प्रखर राष्ट्रवादी धर्मवीर बी. एस. मुंजे द्वारा स्थापित भोंसला सैन्य विद्यालय के छात्र और धर्मवीर बी. एस. मुंजे को अपना आराध्य माननेवाले सनातन संस्कृति एवं राष्ट्रवाद से ओतप्रोत मेगास्टार आज़ाद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजनारायण दुबे ने जिस संस्कृति को जन्म दिया था, बॉम्बे टॉकीज़ को जिस मूल्यबोध के साथ विकसित किया था, जिस कार्य संस्कृति को निर्मित किया था उसका अनुपालन मैं जीवन पर्यंत करूँगा और सार्थक फिल्मों का सृजन कर बॉम्बे टॉकीज़ की अजर अमर परंपरा का निर्वहन करूँगा |

इस अवसर पर सनातनी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे ने राजनारायण दुबे का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि राजनारायण दुबे एक विशाल वरद वृक्ष थे जिनके साये में अनेक प्रतिभाओं को पहचान मिली | मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानती हु कि मुझे बॉम्बे टॉकीज़ के साथ मिलकर राष्ट्रपुत्र एवं अहं ब्रह्मास्मि का निर्माण करने का मौका मिला | बॉम्बे टॉकीज़ के सहयोग के कारण ही मैंने विस्मृत हो चुकी संस्कृत भाषा को अहं ब्रह्मास्मि के ज़रिये पुनर्जीवित कर दर्शको को भारतीय संस्कृति से, अपनी जड़ो से जोड़ पाने में सफलता प्राप्त की |

KAMINI DUBE AT THE BOMBAY TALKIES STUDIOS

इस अवसर पर राष्ट्रपुत्र और अहं ब्रह्मास्मि की वैश्विक सफलता के उपलक्ष में भव्य पार्टी का आयोजन किया गया | राजनारायण दुबे की बनाई परंपरा के अनुसार सृजनशीलता एवं सफलता के लिए उनके १०९वें जन्म महोत्सव के उपलक्ष में बॉम्बे टॉकीज़ के एक एक सदस्य को उनकी प्रतिभा, समर्पण और योगदान के लिए ‘राजनारायण दुबे शिखर सम्मान’ से सम्मानित किया गया |

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